Story of Chanakya ! Chanakya Niti

 Story of Chanakya ! Chanakya Niti

चाणक्य की कहानी! चाणक्य नीति

Story of Chanakya ! Chanakya Niti

 

भारतीय इतिहास और राजनीतिक में चाणक्य का विशिष्ट स्थान है, शासन के विविध पहलुओं का जैसा सारगर्भित विवेचन उनके ग्रंथ अर्थशास्त्र में है वैसा संभवत विश्व के प्राचीन और आधुनिक किसी भी राजनीतिक शास्त्र के विचार में नहीं किया है, अतः चाणक्य की गिनती विश्व के राजनीतिक शास्त्र के महानतम चिंतकों में की जाती है। 

Chanakya’s Niti Darpan

 

चाणक्य की नीती दर्पन

 

चंद्रगुप्त के मौर्य साम्राज्य की स्थापना के साथ चाणक्य का नाम जुड़ा हुआ है, चाणक्य की सहायता परामर्श एवं राजनीतिक कूटनीति से चंद्रगुप्त अपने साम्राज्य का विस्तार करने में सफल हुआ। 

 चाणक्य का पूरा नाम विष्णुगुप्त चाणक्य था ,उन्हें कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है, आपके तक्षशिला के एक ब्राह्मण के पुत्र थे बाल्यकाल में ही पिता की मृत्यु हो जाने पर चाणक्य का पालन पोषण उनकी माता ने किया, ज्ञानार्जन के साथ-साथ दर्शन का भी अध्ययन किये थे, परंतु चाणक्य बहुत क्रोधी एवं उग्र स्वभाव के थे। 

 

युवा होने पर चाणक्य जीविकोपार्जन के लिए मगध साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र पहुंचे वहां मगध के नंद वंश के शासक धनानंद से उनकी भेंट हुई, सम्राट ने चाणक्य को पाटलिपुत्र की दान शाला का प्रबंधक नियुक्त किया और उग्र स्वभाव होने के कारण चाणक्य को वहां पदच्युत कर दिया गया, उन्होंने इसे अपना अपमान समझा और सम्राट घनानंद तथा नंद वंश को विनाश करने की प्रतिज्ञा ली, वह सदैव इस खोज में रहते थे की प्रतिज्ञा कैसे पूरी करें उनकी भेंट चंद्रगुप्त से हुई। 

Story of Chanakya ! Chanakya Niti

 

चंद्रगुप्त मगध राज्य में राज्य अधिकारी और सेनानायक था, वह बहुत महत्वाकांक्षी था, समाज पर अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहता था चंद्रगुप्त और चाणक्य की भेंट रास्ते में हुई कुश में मट्ठा डाल रहे, चाणक्य को देखकर चंद्रगुप्त उनके दृढ़ निश्चय से प्रभावित हुए और उन्होंने चाणक्य को अपना सहयोगी बना लिया, भारतीय इतिहास को एक नवीन दिशा की ओर मोड़ दिया उसमे बल था, और चाणक्य में बुद्धि, बल और बुद्धि का यह संयोग भारतीय इतिहास में युग परिवर्तन की घटना सिद्ध हुआ। 

 

 पाटलिपुत्र पर चंद्रगुप्त और चाणक्य ने मिलकर आक्रमण किया, घनानंद की मजबूत सैन्य बल के कारण वे पराजित हुए, साम्राज्य की शक्ति सदैव केंद्र में स्थित रहती है, और सीमा में क्षीण चंद्रगुप्त और चाणक्य ने अपने रणनीति में परिवर्तन करके यह निर्णय लिया कि पहले मगध राज्य के सीमांत विजय प्राप्त की जाए तत्पश्चात मगध राज्य पर आक्रमण करना उचित होगा। 

 

चंद्रगुप्त और चाणक्य ने नए योजना के अनुसार पंजाब पर आक्रमण कर दिया और विजय प्राप्त की चंद्रगुप्त एक विशाल सेना लेकर पाटलिपुत्र पहुंचा इस युद्ध में घनानंद मारा गया, चाणक्य की सहायता से मगध पर अधिकार प्राप्त कर लिया, चंद्रगुप्त का विधिवत राज्य अभिषेक कर 321 ईसा पूर्व में उसे मगध का सम्राट घोषित कर दिया, उसकी बुद्धिमत्ता और कूटनीति के कारण चंद्रगुप्त ने उन्हें अपना प्रधानमंत्री और प्रमुख परामर्शदाता नियुक्त कर लिया, चाणक्य ने अंतिम समय तक मौर्य साम्राज्य की सेवा की। 

Ethics of Chanakya
चाणक्य की नैतिकता

चाणक्य ने राजतंत्र को अधिक उपयोगी संस्था माना है, उनके अनुसार राजा को धर्म निष्ठ सत्यवादी कृतज्ञ बलशाली का सम्मान करने वाला उत्साही विनय शील विवेकी निर्भय प्रिया मधु भाषी तथा कार्य निपुण होना चाहिए, उसे काम क्रोध मद मोह अहंकार ईर्ष्या द्वेष आदि दुर्गुणों से दूर रहना चाहिए, इस प्रकार राजा में न केवल राजा के ही गुण वरिष्ठ व्यक्तियों के सभी गुण होने चाहिए। 

 

चाणक्य के अनुसार राज्य का यह कर्तव्य है, कि आकस्मिक और प्राकृतिक आपदा से नागरिक की रक्षा करें, राज्य को अपंग शक्तिहीन वृद्ध रोगी और दीन दुखियों का पालन पोषण करना चाहिए, राज्य को शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए राज्य का यह कर्तव्य है, कि साहूकार व्यापारी जादूगर शिल्पी नट शासकीय अधिकारी और कर्मचारी आदि के शोषण उत्पीड़न से प्रजा की भली भांति रक्षा करें, व्यापारी अनुप्रयुक्त दर से क्रय विक्रय ना कर सके इसके लिए राज्य को चाहिए कि वह नियम निर्धारित करें। 

 

इन कार्यों से राज्य को विदित होता है कि चाणक्य ने आधुनिक लोक कल्याणकारी राज्य की कल्पना कर ली थी, उन्होंने प्रजा खुशी को राज्य का लक्ष्य मान लिया था। वह वर्षा ना होने के कारण अकाल के समय सैकड़ों  साधुओं को भोजन कराते थे। 

 

चाणक्य एक व्यवहार कुशल राजनीतिज्ञ थे ,उन्होंने नीति पर भी एक पुस्तक लिखी है, उसमें इनके ऐसे विचार है जिनसे पता चलता है कि मौर्य साम्राज्य के निर्माता के रूप में वे सफल रहे, उन्होंने राजतंत्र समर्थक होते हुए भी हमको निरंकुश स्वेच्छाचारी शासन का विरोध किया। 

 

चाणक्य आज भी आधुनिक राजनीतिक विचारकों चिंतकों में अग्रणी माने जाते हैं। 

 

 

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