Urdu Shayari
यादों की किताब ✧ उठा कर देखी थी मैंने✧ पिछले साल इन दिनों ✧ तुम मेरे थे✧
अब हाथ जोड़ कर क्यों कहते हो बखेडा न करो
मैंने पहले ही कहा था मैं शायर हूँ मुझे छेड़ा ना करो
कर दे मेरे गुनाहों को माफ़ ए खुदा
सुना है सोने के बाद कुछ लोगों की सुबह नहीं होती
नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है
Shayari
हमसे बात कीजिए तो जरा एहतियात से
हम लफ्ज़ भी सुनते हैं और लह्ज़े भी
मुकम्मल होती ही नहीं कभी तालीम ए ज़िन्दगी
यहाँ उस्ताद भी
ता-उम्र एक शागिर्द रहता है
हर ईद पर रूठ जाते हैं वो हमसे !
अब बताओ हम ईद मनाये या उनको !
ये ज़रूरी है कि आंखों का भरम क़ाएम रहे नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो
यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
ये ज़रूरी है कि आंखों का भरम क़ाएम रहे नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो
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