मैंने कब इजहार किया कि मुझे गुलाब दो, या फिर अपनी महोब्बत से मुझे नवाज़ दो !
रिश्तों की यह दुनिया बहुत निराली है , रिश्तों से भी प्यारी यह दोस्ती तुम्हारी हमारी है।
अगर आजाये होंठ पे मुस्कान तुम्हारे तो आँसू भी आ जाये आखो में हमारे !
सामने समंदर हो या पहाड़ भी आ जाये उससे टकराना चाहिए जब तक शरीर में साँस है तब तक जिये जाना चाहिए !
आज मन मेरा बहुत उदास है, तू गैर बनके ही सही बस तू मुझे आवाज़ दे !
गलियां वहीं है मेरी , मेने कभी अपना शहर नहीं बदला। एक अरसा हो गया मैने यहां अपना घर नहीं छोड़ा। कब ना जाने वह मुझको अचानक से याद कर लें । बस यही सोचकर मैंने कभी अपना नंबर नहीं बदला।
एक माँ है जो बुढ़ापे में भी बच्चे की बीमारियों के सामने खड़ी हो गईं, एक माँ ही है जो आज फिर भगवान से बड़ी हो गई !
एहसान है उनका जो हम पर इलजाम लगा बैठे, उठती हुई उगलियो ने तो हमें मशहूर ही कर दिया ।
न जाहिर कर सके तुमसे और न ही तुमसे हम कुछ बयान कर सके, बस हमारी सुलझी हुई आँखो में हमारी मोहब्बत उलझी रह गयी !