मैंने कब इजहार किया कि मुझे गुलाब दो, या फिर अपनी महोब्बत से मुझे नवाज़ दो !

रिश्तों की यह दुनिया बहुत निराली है , रिश्तों से भी प्यारी यह दोस्ती तुम्हारी हमारी है।  

अगर आजाये होंठ पे मुस्कान तुम्हारे तो आँसू भी आ जाये आखो में हमारे ! 

गलियां वहीं है मेरी , मेने कभी अपना शहर नहीं बदला। एक अरसा हो गया मैने यहां अपना घर नहीं छोड़ा। कब ना जाने वह मुझको अचानक से याद कर लें । बस यही सोचकर मैंने कभी अपना नंबर नहीं बदला।

एहसान है उनका जो हम पर इलजाम लगा बैठे, उठती हुई उगलियो ने तो हमें मशहूर ही कर दिया ।