मैं जला हुआ राख नही, अमर दीप हूँ,
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जो मिट गया वतन पर, मैं वो शहीद हूँ।
ना खौफ है मौत का ना आरजू है जन्नत की,
मगर जब कभी जिक्र हो शहीदों का,
काश मेरा भी नाम आए।
न पूछो जमाने को, क्या हमारी कहानी है, हमारी पहचान तो सिर्फ ये है, की हम सिर्फ हिंदुस्तानी है।
कभी कड़ाके की ठंड में ठिठुर के देख लेना,
कभी तपती धुप में चल के देख लेना,
कैसे होती है हिफाजत अपने देश की,
जरा सरहद पर जाकर देख लेना।
आओ, झुक के सलाम करे उनको,
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है,
खुशनसीब होते है वो लोग,
जिनका खून देश के काम आता है।
लड़े वो वीर जवानों की तरह,
ठंडा खून भी फौलाद हुआ,
मरते मरते भी कई मार गिराए,
तभी तो देश आजाद हुआ।
Shayari
खूब बहती है अमन की गंगा बहने दो,
मत फैलाओ देश में दंगा रहने दो,
लाल हरे रंग में ना बाटों हमको,
मेरे छत एक तिरंगा रहने दो।
जब देश में थी दीवाली,
वो खेल रहे थे होली,
जब हम बैठे थे घरों में,
वे झेल रहे थे गोली।
उड़ जाती है नींद ये सोचकर,
की सरहद पे दी गयी वो कुर्बानियाँ,
मेरी नींद के लिए थी।
Shayari