वो रात दर्द और सितम की रात होगी,जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी,उठ जाता हूँ मैं ये सोचकर नींद से अक्सर,कि एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी.
दर्द कितना है बता नहीं सकते,ज़ख़्म कितने हैं दिखा नहीं सकते,आँखों से समझ सको तो समझ लो,आँसू गिरे हैं कितने गिना नहीं सकते.
मेरी गुम हुई उम्मीदों को जगाया क्यों था …दिल जलना था, तो फिर तुमने दिल लगाया क्यों था ..अगर गिरना था, इस तरहा नजरोसे हमें …तो मेरे प्यार को कलेजे से लगाया क्यों था.
दर्द दे कर मोहोब्बत ने हमे रुला दिया..जिस पर मरते थे उसने ही हमे भुला दिया..हम तो उनकी यादों में ही जी लेते थे..मगर उन्होने तो यादों में ही ज़हेर मिला दिया..”
तेरे चेहरे को कभी भुला नहीं सकता.. तेरी यादों को भी दबा नहीं सकता.. आखिर में मेरी जान चली जायेगी.. मगर दिल में किसी और को बसा नहीं सकता