भरे बाजार से अक्सर हम खाली हाथ आते है , कभी ख्वाहिश नहीं होती तो कभी पैसे नहीं होते।
अगर वो कहे तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें दे दूँ,
मगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब माँगते हैं।
चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने का होता है,
वरना बेचैन तो हर शख्स ज़माने भर से है।
मेरा झुकना और तेरा ऊँचा हो जाना,
ये अच्छा नहीं लगता इतना बड़ा हो जाना।
हाल जब भी पूछो तो बस खैरियत बताते हो,
लगता है बहुत पहले मोहब्बत छोड़ दी तुमने !!
अकेले भी हैं कोई गम नही है ,
जहां इज्जत नही होती वहां हम नही होते !!
SHAYARI
जब नजरों में दोस्तों की हम इतना खराब है,
उसका कसूर बस इतना है कि वो कामयाब है !!
मैं एक शाम जो उस रोशन दीया को उठा लाया,
जैसे लगा तमाम शहर कहीं से हवा उठा लाया !!
जैसे कोई अजनबी अपना ख़ास हो रहा है,
लगता है उसे मोहब्बतें का एहसास हो रहा है !!
SHAYARI